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शुक्र ग्रह का प्रभाव (कुंडली के 1 से 6 भावों में)

DD Taneja, Chandigarh


शुक्र लग्न में
लग्न का शुक्र जातक को काम क्रीडा में निपुण बनाता है। मानसागरी  के अनुसार जातक सुन्दर पति/पत्नी  व आकर्षक शरीर का स्वामी होता है। वैद्यनाथ के अनुसार जातक कामुक होता है। शुभ शुक्र लग्न में प्रेम भावना से युक्त पत्नी को प्रेम करने वाला, सुखी तथा दीर्घायु होता है। यदि शुक्र लग्न में अग्नि राशि (1,5,9) का हो तो विवाह में कुछ देर भी करवा सकता है। स्त्री अच्छे स्वभाव की होती है। यदि शुक्र अपनी नीच राशि (कन्या राशि) का हो तो पत्नी जातक पर अपना प्रभाव रखने का प्रयास करती है। लाल किताब के अनुसार लग्न में शुक्र बैठा है तो शुक्र सूर्य का काम करेगा। इसलिए जातक की शादी या रोजगार काम करने से पहले हो जाएगी। जातक की सभी प्रकार के सुख मिलता है। रति सुख मिलता हैं धन की प्राप्ति होती है।
उपाय
1) अशुभ शुक्र के लिए गुड़ का कम से कम प्रयोग करे या ना खाए। 
2) दिन में सम्भोग ना करें।
3) 25वें वर्ष में शादी न करें।
4) कन्यादान के समय सुसराल में चांदी जरुर लें।

शुक्र दुसरे भाव में
बली माना गया है। वैद्यनाथ के अनुसार दुसरे भाव का शुक्र हो तो जातक कामुक होता है। फलदीपिका, के अनुसार वह कवि और विभिन्न प्रकार के ऐश्वयों का भक्त होगा। यदि दुसरे भाव का शुक्र बलहीन हो या 6,8,12 भाव में हो तो जातक को नेत्र रोगों से पीड़ित हो सकता है। दुसरे भाव का शुक्र पर यदि पाप प्रभाव होतो किसी विधवा से सम्पर्क करवाता है। वक्री शुक्र कुछ शर्मीले स्वभाव का बनाता है। दुसरे भाव शुभ शुक्र धन धान्य, अन्न वस्त्र व सुगन्धित द्रव्य आदि की प्राप्ति होती है। कुटुम्ब सुख प्राप्त होता है। वाहन सुख मिलता है। यदि शुक्र अशुभ हो रहा हो तो पराई औरत या बाजारी औरत से बर्बादी का बहाना होगी। घर में बीमारी कायम रहेगी।
उपाय
1) गाय का घी अपनी श्रद्वा के अनुसार धर्म स्थान पर दान करें। 
2) दो किलो आलू हल्दी से पीला रंग कर गाय को खिलाए। व गाय का घी धर्म स्थान पर दान करें।
3) बाजारी और गैर औरतों से सम्बन्ध न रखें।

शुक्र तीसरे भाव में
तीसरे भाव का शुक्र डा0 रमन के अनुसार कला प्रेमी धनी कंजूस व यात्र का शौकिन होता है। वैद्यनाथ के अनुसार तीसरे भाव का शुक्र जातक को स्त्री के अधीन रहने वाला बताया है।
जातक अत्यत कामूक वृत्ति  का होता है। ऐसा जातक दिन में भी सहवास की इच्छा रखने वाला होता है। अशुभ शुक्र प्रभाव में जीवन साथी से सुख नही मिलता विवाह होने में अड़चने आती है यदि स्त्री की कुण्डली में शुक्र यदि मंगल के साथ हो तो मुच्छे व छाती पर बाल उग सकते है। तीसरे भाव का शुक्र स्त्री से प्यार व आशिक मिजाज होता है। माता-पिता का सुख मिलता है। पराई औरत से ताल्लुक रखने पर जातक की माली हलात खराब होगी व उम्र पर भी बुरा असर पडेगा।
उपाय
1) अपनी पत्नी की इज्जत करें।
 2) अगर 9वें और 11वें भाव में दुश्मन ग्रह हो तो उपाय करें।

शुक्र चौथे भाव में
यदि शुक्र, दुषित हो पाप राशि या दुर्बल होतो जातक का एक से अधिक स्त्री से संबंध बनता है। सरावली के अनुसार ऐसा जातक वाहन ये युक्त, सुन्दर धनी और भाग्यशाली होगा। खुले हाथ से खर्च करने वाला होता है। चौथा भाव चन्द्र का है शुक्र चन्द्र को अपना शत्रु (दुश्मन) मानता है।
विवाह के कुछ समय बाद माता से सम्बन्ध में कुछ कडवाहट आ सकती है।, नीचे का शुक्र जीवन साथी को आयु को कम या पत्नी को रोगी बना सकता है। दुष्ट प्रभाव का शुक्र अनैतिक सम्बन्ध् बनाता है। नशे की आदत या बुध के कारोबार जातक के लिए नुक्सानदेह होगे। दुसरी औरतों से सम्पर्क नुकसानदेह होगा। मामू-खानदान में परेशानी रहेगी। अशुभ शुक्र के लिए निम्न उपाय करें।
उपाय
1) पहली औरत का नाम बदल कर दो बारा शादी करें। 
2) संतान की कमी के लिए चन्द्र का उपाय करें।
3) बृहस्पति का उपाय भी सहायक होगा।
4) कोई अन्य ग्रह साथी बन रहा हो तो आंडू की गुडली से सूरमां भर कर किसी बीराने में घास वाली जमीन में दबाए। इससे औरत व बेटे का सुख कायम होगा। 
5) अगर औरत बीमार रहे तो मकान की छत पर शहद से भरा बर्तन रखें।

शुक्र पॉचवे भाव में
कल्याण वर्मा के जातक को कामुक प्रवृत्ति का बनाता है। शुक्र की पॉचवे भाव में स्थिति प्रसन्नता, मित्र तथा पुत्र प्रदायक होती है। जातक सभोग में रुची रखने वाला, कामुक, धनी व प्रेमी आदि बनाता है, यदि पॉचवे का शुक्र 4,8,12 राशि में होने से यौन सम्बन्ध कम आयु में ही जाने की सम्भावना होती है। यदि 5वें भाव का शुक्र के साथ सूर्य भी हो तो विवाह करने का इच्छुक नही होता। यदि हो जाता है तो विवाह सुख में किसी कारण वश सुख नही भोग पाता। राहु के साथ शुक्र जातक में कुछ आसाधारण यौन व्यवहार की रुचि के सकेंत देता है। पॉचवे भाव का शुक्र वाला जातक अपने परिवार को प्यार करने वाला बनाता है। हर तरह से बरकत होगी। परन्तु मन्दे चाल चलन से सारा परिवार परेशानी में रहेगा। औरत की सेहत भी खराब रहेगी। जातक की पत्नी को चाहिए कि वह कभी नगें पांव धरती पर न चलें।
उपाय
1) गाय व माँ की सेवा दौलत में बरकत होगी। 
2) शादी मॉ बाप की मर्जी से करें। 
3) चाल चलन पर काबू रखने से औरत की सेहत ठीक रहेगी। 
4) औरत अपने गुप्तांग को दुध-दही से साफ करती रहें।

शुक्र छठे भाव में
छठे भाव का शुक्र प्राय जनेन्द्रियों में पीड़ा देता है। ऐसा प्रायः यदि चरित्र खराब हो सकता है। शुक्र यदि केतु के साथ हो तो जातक समर्पित प्रेमी होगा। शुक्र लग्नेश के साथ 6,8,12 वे भाव में सेहत को प्रभावित करता है। कुछ ज्योतिषाचायों के अनुसार 6वें भाव का शुक्र बिना समुचित कारण के कारक शत्रुता का कारण बनता है। कामेच्छा निर्बल रहती है। छठे भाव का शुक्र जातक को नास्तिक व स्त्री जाति का प्रशासक होता है। शुक्र सुर्य 6वें भाव में होने के कारण विचारों में कुरुता आ जाती हे। शुक्र के बुरा होने की हालत में जातक आशिक मिज़ाज होगा। वह दुनिया से कोई मतलब न रखने वाला स्वयं के विचारों में खोया रहता है। ऐसे जातको में गुप्त रोग होने की समभावना भी रहती है।
उपाय
1) छठें शुक्र के लिए चांदी की गोली जेब में रखे। 
2) धन वृद्धि के लिए पत्नी के बालों में सोने का क्लीप धारण करवाएं। 
3) नीच शुक्र इलाज या उपाय चन्द्र से करें।
4) यदि पत्नी बीमार रहती है तो औरत की बीमारी को दूर करने के लिए 6वें शुक्रवार सफेद पत्थर को धोकर उस पर सफेद चंदन लगाकर नदी में बहायें। औरत अपने नंगे पांव जमीन पर न रखें। 
5) धर्म स्थान में दुध, चावल, देसी, खांड, शहद सौफ और गुड़ चढ़ाए।

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