शुभ फल: जातक की किस्मत उसकी अपनी दिमागी ताकत के द्वारा या राजदरबार से सम्बन्धित लोगों से मैत्री के द्वारा बढ़ेगी या बृहस्पति की चीजें, नौकरी/व्यापार या रिश्तेदार सम्बन्धित बृहस्पति के सम्बन्ध से किस्मत चमकेगी। बृहस्पति की उच्च-नीच स्थित, एकादश भाव और कुदरती व धार्मिक भेद और दूसरे जहान में किस्मत का आम बुनियादी सम्बन्ध, अष्टम भाव के स्थित ग्रहों की शुभ या अशुभ स्थिति पर होगा।
जन्म कुण्डली का लग्न, पुरुष और धन के मिलने की जगह और समय की हकूमत के राजा (जो ग्रह लग्न में बैठा हो।) ग्रह को सिंहासन का मालिक माना गया है। जो केवल एक ही जहान की मालकियत है मगर राजगुरु बृहस्पति आप सोना देने वाला, फकीर कमाल और लोक और परलोक का मालिक है इसलिए ऐसा जातक बादशाह के सिंहासन की बंदिश और दुनियावी केन्द में कम ही बंधता है लेकिन जब लग्न में बैठा ग्रह वर्षफल में लग्न में आ जाए उस समय जातक की विद्या चाहे पूरी हो या अधूरी हो मगर धन-दौलत जरूर अधिक देगा और जातक की माता धर्म की मूर्ति और शिव जी की तरह अपनी दयालुता से जातक को हर समय तारती और ऊंचा उठाऐगी और जातक की लगभग 51 वर्ष आयु तक उनकी माता साथ रहेंगी, चन्द्र की चीजें, नौकरी/व्यापार और रिश्तेदार आदि से भी लाभ होगा।
नर सन्तान या केतु से सम्बन्धित चीजें, नौकरी/व्यापार और रिश्तेदार आदि का शुभ उत्तम फल होगा।
स्त्री की किस्मत, शुक्र की चीजें, नौकरी/व्यापार और रिश्तेदार आदि जातक के लिए शुभ व उत्तम फल का होगा।
राजदरबार या अदालती मुकद्दमों या लड़ाई-झगड़े, सूर्य की चीजें, नौकरी/व्यापार और रिश्तेदार आदि से लाभ व उत्तम फल होगा।
जायदाद- मकान, शनि की चीजें, नौकरी/व्यापार और रिश्तेदार आदि, आंख की नजर कभी खराब या शक्की न होगी मगर स्वभाव में शेर की तरह गुस्सा अधिक होगा, जातक साफ दिल, अच्छे स्वभाव वाला होगा। जातक चालाकी को समझने और चालाकी को फौरन रोकने की हिम्मत होगी। शत्रु अधिक हो सकते हैं या उनसे मुकाबला करने की ताकत भी उससे अधिक होगी या शत्रु जातक के डर से दबे हुए या अधिन होंगे और आखिर पर जातक की जीत होगी। संतान के जन्म की आयु में एक बच्चे के बाद दूसरे बच्चे की पैदाईश का अन्तर आठ वर्ष से अधिक न होगा जब कभी यह अन्तर आठ वर्ष से अधिक हो जाए तो संतान पैदा न होगी, जातक की आयु का हर आठ वां वर्ष तरक्की का न होगा अगर जातक दूसरे लोगों को बद्दुआ दे तो वह आप ही नष्ट होगा।
जातक यकी विद्या या राज विद्या या बी- ए- या कोई न कोई डिग्री जरूर होगी मगर धनवान होने की कोई शर्त नहीं मगर यह मतलब नहीं कि वह निर्धन होगा, धन का फैसला जन्म कुण्डली में शनि की शुभ और अशुभ स्थिति से होगा।
(सप्तम भाव में मित्र या शत्रु कोई ग्रह हो और लग्न में बृहस्पति के शत्रु ग्रह न हो)।
जातक कई प्रकार की पूर्ण और अच्छी विद्याओं को जानने वाला होगा और राजा या राजा की तरह या उच्च पदाधिकारी जरूर होगा।
(सप्तम भाव में भी ग्रह हो, लग्न में बृहस्पति के शत्रु ग्रह न हो और बुध प्रबल व शुभ हो)।
बृहस्पति की आयु (4-8-16 वर्ष) से माता-पिता को सुख की सांस मिले और हर तरह से उनको सुख और तरक्की मिलेगी और जातक 75 वर्ष आयु तक सुख भोगेगा।
(केतु शुभ व प्रबल हो)।
कुदरती तौर पर जातक की बुर्जुगों की तरफ से जमीन-जायदाद या सोना मिलेगा।
(1-2-5-9-11-12 भाव में बृहस्पति के शत्रु ग्रह न हो और सप्तम भाव शुभ ग्रह युक्त दृष्ट हो)।
जातक को अपनी कमाई से धन-दौलत की बरकत होगी, स्त्री की सेवा या पूजा या स्त्री से सच्चा प्यार करने वाला और दूसरे लोगों से प्यार करने वाला, स्त्री की पालना या गाय सेवा से धन बढ़ेगा।
(एकादश भाव शुभ ग्रह दृष्ट/युक्त हो)।
जातक के विवाह के दिन से या शुक्र की चीजें, नौकरी/व्यापार और रिश्तेदार आदि कायम करने के दिन से तरक्की होगी और इज्जत-मान पाएगा।
(सप्तम भाव खाली हो)।
28 वर्ष आयु से पहले या 24 वें या 27 वें वर्ष में जातक का विवाह या खून से सम्बन्धित रिश्तेदार का विवाह या जातक अपनी कमाई से नया मकान बनाए/खरीदे या जिस दिन उसके घर नर संतान पैदा हो जाए तब से पिता की आयु पर बुरा असर होगा।
(सप्तम भाव खाली हो)।
उपाय: मंगल की चीजें मिट्टी में दबाना सब से मददगार होगा।
चन्द्र या जातक का राजदरबार से कमाया हुआ धन (तांबे का पैसा) उसे सोने की कीमत (पौंड) और हर तरह की बरकत देगा।
(लग्न या द्वितीय या चतुर्थ भाव में सूर्य या मंगल हो)।
गुरु पहले हो मंगल सावें ठाठ लम्बी जागीरों का।
शर्त बृहस्पति पूरा करता खून शाही वजीरों का।
उपरोक्त शर्त जातक के कुल पुराहित पर भी लागू हो सकती है अर्थात् जातक या जातक का कुल पुरोहित या बाबा/पिता भी लम्बी जागीरों का मालिक होगा या जातक का शाही परिवार से सम्बन्ध होगा।
(मंगल सप्तम भाव में)।
मामा की आयु छोटी हो सकती है यह जरूरी नहीं की मामा कि आयुु छोटी ही हो मगर जातक की अपनी आयु लम्बी होगी जो लगभग 75 वर्ष तो जरूरी होगी, इससे अधिक चाहे कितनी ही हो जाए।
(2-3-4-7-8 भावों में शुभ ग्रह हो।)
जातक की आयु उसकी अपनी इच्छा के अनुसार लम्बी होगी बल्कि उसके परिवार में सबकी आयु लम्बी होगी।
(सूर्य नवम भाव में हो)।
अशुभ फल: पीली गैस बृहस्पति की चीजें और संसार की बुरी हवा, ट्टण पितरी (2-5-9-12 भावों में बुध, शुक्र, राहु, केतु या शनि) का अशुभ फल किस्मत की आग (सूर्य अशुभ) का चक्कर (बुध अशुभ) शत्रु ग्रहों की जगह यदि बृहस्पति के सोने को पिंघला देवे अर्थात् बृहस्पति का अशुभ फल हो तो वह अपने पहले दौरे (आयु के पहले 35 वर्षों) में नहीं तो दूसरे दौरे (36 से 70 वर्षों) में जरूर शुभ फल देगा मगर जातक दान लेने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति के सामने अपना हाथ न फैलाए और अपनी किस्मत पर भरोसा करें, यदि ऐसी ग्रहचाल के समय जातक अनपढ़ हो तो फकीर (रूहानी गुरु) होगा, अर्थात् अनपढ़ जातक फिर भी पहले दर्जे का फकीर कमाल (चमत्कारी) होगा।
(बुध अशुभ, चन्द्र, बृहस्पति के भावों (2-5-9-12) भाव में हो अर्थात् इन भावों में बृहस्पति के शत्रु या आपस में शत्रु के ग्रह न हो)।
जातक या उसके परिवार में किसी ने बी- ए- पास न की होगी या परिवार में किसी के पास कोई डिग्री न होगी।
(पितृ ऋण मगर फकीर साहिब कमाल होगा (2-5-9-12 भाव में बृहस्पति के शत्रु ग्रह हों)।
नोट: जिस दिन जातक के परिवार में कोई सदस्य बी- ए- पास करे या कोई डिग्री ले लेगा ट्टण पितृ न रहेगा।
जातक की 8 या 12 वर्ष आयु में दूसरों की शरारतों या राहु की चीजें, नौकरी/व्यापार या रिश्तेदार के सम्बन्ध से शुद्ध सोने की कीमत वाला घर नीले रंग का हो जाएगा, किस्मत की बुरी हवा में हर तरह कड़वा धुंआ भरा हुआ होगा या भरता जाएगा।
(राहु 2-5-9-12 भावों में या बृहस्पति के साथ राहु हो)।
जातक की 13 या 15 वर्ष की आयु में मिट्टी की स्त्री या शुक्र की चीजें, नौकरी/व्यापार या रिश्तेदार सोने की तरह चमकने वाले सब राख हो जाएंगे या सोना मिट्टी के भाव बिक जाएगा, किस्मत के मैदान में मिट्टी भारी आंधी से जीवन की काली रात रही होगी।
(शुक्र 2-5-9-12 भाव में या बृहस्पति के साथ शुक्र हो)।
जातक की 16 या 19 या 21 वर्ष की आयु में बुध की चीजें, नौकरी/व्यापार या रिश्तेदार आदि के द्वारा धन हानि होगी, किस्मत में जलती हुई रेत की तरह धन-दौलत से खाली होगी।
(बुध 2-5-9-12 में या बृहस्पति के साथ बुध हो)।
जातक की 36 वर्ष की आयु के बाद 42 वर्ष आयु से शनि की चीजें, नौकरी/व्यापार और रिश्तेदार से हर तरह पाप की कार्यवाहियां और बुरे कामों के कारण सेहत खराब (पेशाव और पखाना की नाली तक दुःखिया करेगी), किस्मत की हवा जहरीली गैस से भरी हुई होगी जो अचानक पल के पल में खून करती जावें या फजूल ऐसी दिल को हिला देने वाली घटनाएं घटेगी।
जातक का बनाया या खरीदा हुआ आलीशान मकान, गुनाहगारों के लिए बनाई हुई सख्त जेल से भी अधिक दुःख का कारण बन जाएगा (सेहत और संतान के लिए अशुभ होगा)
(शनि पंचम भाव में हो)।
जातक की सेहत खराब ही रहेगी।
(शनि नवम भाव में हो)
जातक की संतान दुःखी या उसकी संतान जातक के माता-पिता के लिए अशुभ होगी।
(शनि अशुभ या शुभ भावों हो, या शनि के साथ उसके शत्रु ग्रह (सूर्य या मंगल) ऐसे भावों में हो जिनमें उनका अशुभ फल माना है)।
जातक पिता से अलग हो जाए या पिता से जुदाई पा कर चाहें किसी भी तरह या कारण से अलग हो जाए अर्थात् पिता से दूर किसी दूसरी जगह नौकरी/व्यापार करे तो कमाई से घर को बोझ सम्भाल रहा होगा।
(18 से 27 वर्ष आयु में या वर्षफल में जन्म कुण्डली का अशुभ शनि सप्तम भाव में आ जाए)।
जन्म कुण्डली के किस भाव में शनि बैठा हो
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12
किस वर्ष सप्तम भाव में आएगा।
19 20 24 22 23 26 25 27 ’ ’ 21 18
नवम या दशम भाव में शनि बैठा हो तो का 18 से 29 वर्ष की आयु में सप्तम भाव में नहीं आयेगा बल्कि हमेशा उत्तम फल दिया करता है।
दीवानी या फौजदारी मुकद्दमें या दूसरे दुनियावी साथियों के साथ बिना कारण उलझनों में धन हानि आम होगी, मुकद्दमों या उलझनों का फैसले चाहे जातक के हक में क्यों न हों उसकी अपनी कमाई और किस्मत और दुनियावी नौकरी/व्यापार में बृहस्पति सोना देने की जगह खाक (मिट्टी) तक उड़ाता चला जाएगा।
(सूर्य नवम या एकादश भाव में सोया हुआ हो तो या अशुभ हो या सूर्य-बुध इकट्ठे अशुभ भावों में हो)।
जातक निन्दक और दूसरों को आशीर्वाद की जगह बददुआ (श्राम) देने वाला होगा, उसकी अपनी किस्मत की बुरी हवा उसके सारे परिवार को जहरीले असर से भर देगी ऐसी हालत में जातक की छोटी आयु में विवाह अधिक से अधिक 22 वर्ष आयु से पहले हो तो शुभ फल होगा, वरना अपने आप जागा हुआ बृहस्पति 24 वें वर्ष अशुभ फल देगा। बृहस्पति के अशुभ फल के समय मंगल से सम्बन्धित चीजों नौकरी/व्यापार और रिश्तेदार से शुभ फल पाएगा।
(बृहस्पति सोया हुआ हो अर्थात् सप्तम भाव खाली हो या अष्टम या एकादश भाव में बृहस्पति के शत्रु ग्रह (बुध-शुक्र-राहु या शनि) हो।